Thursday, May 7, 2015

हुई यूँ ग़मों की ये शाम आखिरी है

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हुई यूँ ग़मों की ये शाम आखिरी है,
पहना दो कफन ये सलाम आखिरी है |

यूँ भर के ये अखियाँ टपकते जो आंसू ,
वो कहते हैं पीलो ये जाम आखिरी है |

सफ़र आखिरी है कदम दो मिला लो,
खुदा का दिया इंतजाम आखिरी है |

टपकते रहे पर, सकूं था कि इतना,
गमे ज़िन्दगी का इनाम आखिरी है |

यूँ ख्वाबों में हर पल रहे उम्र भर जो,
उन्ही के लिए ये कलाम आखिरी है |

महक तेरे दामन की चारों तरफ है,
यूँ समझो खुदा का पयाम आखिरी है |

 

© हर्ष महाजन


पुरानी कृति

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