Wednesday, March 2, 2016

ये सदन अब ऎसी दुकां हुआ

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ये सदन अब ऎसी दुकां हुआ,
काफिरों का जमघट जहां हुआ |

है सियासी दाव न शर्म कोई,
सरफिरों का लगता मकां हुआ |


अब ज़बीं पे जिसके न दाग हो,
ये सदन अब कैसा जवां हुआ |


क्यूँ घुला है सांसदों में ज़हर,
जबकि वोटों से इम्तिहां हुआ | 


क्यूँ फलक ज़मी पे झुका दिया,
की ग़ज़ल में हिन्दोस्तां हुआ |


ये नतीजा अब.....बैर का नहीं,
देख क्या किसके दरमियाँ हुआ |


जो वतन से गर इश्क मर गया,
तो समझना गर्दिश समां हुआ |


सांसदों के हाथों....कमान देख,
हर बशर भी अब परीशां हुआ |


____हर्ष महाजन


बशर=आदमी
2122 2212 12

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