Tuesday, April 5, 2016

मुझे दिल में अपने सजा कर तो देखो

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मुझे दिल में अपने सजा कर तो देखो
फकत हूँ तेरा दिल लगा कर तो देखो ।

ये चाहत मेरी तुम मिलो तो समझना,
ये रिश्ता कभी तुम निभाकर तो देखो ।

ये दूनियाँ है मुर्दा-परस्तों की बस्ती,
किसी शख्स को आजमाकर तो देखो ।

कहीं लुटती अस्मत कहीं अगजनी है,
ये आँखों से पर्दा हटाकर तो देखो ।

बहुत चर्चे करता....जहाँ खुदकशी पर,
कभी बोझ उस सा बना कर तो देखो ।

सियासत को भी बिकते देखा है हमने,
ये अखबार कोई उठाकर तो देखो ।

---------------हर्ष महाजन

बहरे मुतकारिब मुसम्मन सालिम
122-122-122-122

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