Sunday, July 10, 2016

तनहा सी ज़िन्दगी में इक बात ढूंढते हैं

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तनहा सी ज़िन्दगी में इक बात ढूंढते हैं,
जो हमको दे गयी गम वो रात ढूंढते हैं |

फुर्सत से दिल को उसने झुलसाया इस तरां से,
ये दिल के तनहा टुकड़े स्वालात ढूंढते हैं |

कैसे हुए वो दुश्मन हम से भी हैं खफा क्यूँ,
किस्मत में तीरगी के हालात ढूंढते हैं |

राहों में धूल दिल में गर्द-ओ-गुबार इतना,
उतरे फलक से कोई बरसात ढूंढते हैं |

वो दिलरुबां हुआ अब यूँ ही था उलझनों में,
इस दोस्ती में उस की नजरात ढूंढते हैं |

बिखरी सी बदलियों में जो चाँद है ज़मीं पर,
शब्-ओ-रोज़ क़ैद उस में ख्यालात ढूंढते हैं |

जादू का फन नहीं ये लफ़्ज़ों का फन है मेरे,
हर नज़्म हर ग़ज़ल में जज्बात ढूंढते हैं |


हर्ष महाजन


221 2122 221 2122
बहरे मज़ारिअ मुसम्मन मक्फ़ूफ़ मक्फ़ूफ़
मुख़न्नक मक़्सूर

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