उनके किस्से नए भी पुराने लगे,
जो भी दिन थे पुराने सुहाने लगे ।
उनकी ज़ुल्फ़ों तले शाम होगी कभी,
ऐसा मौसम बना पर ज़माने लगे ।
ज़ख्म नखरों ने उनके दिए थे बहुत,
आहें निकली तो उनको तराने लगे ।
जिनके आने से दिल था समंदर हुआ,
गैर की बाहों में दिल लुटाने लगे ।
रो पड़ा था फलक बेवफा देखकर,
फिर पुराने बहाने सुनाने लगे ।
हर्ष महाजन 'हर्ष'
212 212 212 212
"तुम अगर साथ देने का वादा करो"