बोलती ग़ज़लें
ग़ज़ल एक छंद काव्य है | एक लम्बा सफ़र तय कर आजकल ये जिस मुकाम पर है इसने अपने अंदर उर्दू और हिन्दी दोनों भाषाओँ को सम्मिलित किया है | अपने सफ़र में नज़ाकत और नफ़ासत के कई तेवर बदलती हुई प्रस्तुत ग़ज़लें अपने बनाव और श्रृंगार में कई जगह शराब और शबाब में मदहोश नज़र आती है और फिर कई जगह गम से लबरेज़ तथा खुद अहसासों का चित्रण ब्यान करती हैं | अल्फास तो खुद दास्ताँ बन ग़ज़ल का सत बयाँ कर देते हैं | आम आदमी से जुड़ी और मानवीय संवेदनाओं से भरपूर मेरी कलम से निकली पसंदीदा कुछ ग़ज़लें |
Tuesday, August 29, 2023
Monday, June 13, 2022
Monday, April 4, 2022
Saturday, March 12, 2022
Monday, March 7, 2022
Tuesday, March 1, 2022