...
हर वक़्त दिल दुखाने की बात करता है,
पागल है दिल लगाने की बात करता है ।
कितने अजब ख्यालात हैं उस बशर के,
सहरा में घर बसाने की बात करता है |
उतरा न ज़िंदगी में कभी अश्क़ आँखों से,
अब अश्कों में नहाने की बात करता है |
सुफिआना इल्म बे-इंतिहा उसके ज़हन में,
पर आज वो मैखाने की बात करता है |
नफरत जिसे बहुत थी कभी इश्क़ से पर
अब ज़ुल्फ़ को सजाने की बात करता है।
पूछा नहीं खुदा को भी, जिसने, अना में,
दिल धड़का तो ज़माने की बात करता है |
_______________हर्ष महाजन
बशर = आदमी
221 2122 1212 22
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