Thursday, August 4, 2016

यूँ ज़िन्दगी में खुशियों सी वो बात नहीं है

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यूँ ज़िन्दगी में खुशियों सी वो बात नहीं है,
बिछुड़ा है जरा साथ मगर मात नहीं है |

मैं शिकवों भरी शामो सहर देख रहा हूँ,
ये घाव उठा दिल पे है सौगात नहीं है |

चलने लगी है आखों में रुक-रुक के ये नदिया,
ये गम का दिया रंग है बरसात नहीं है |

क्यूँ काल से उम्मीद रखूँ कोई रहम की,
है कर्मों की ये बात कोई घात नहीं है |

कुछ लोग लुटाते हैं शबो रोज़ नसीहत,
मैं कर सकूं ये बात भी औकात नहीं है |

हर्ष महाजन

221 1221 1221 122

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