...
मेरी धड़कन को दुनिया मनाती रही,
चुप थी बे-दर्दी हम को रुलाती रही |
दिल था टूटा मगर मैं न टूटा कभी ,
बे-वफ़ा थी जो नज़रें चुराती रही |
इक खलिश थी मुझे उसको भी रंज था,
जाने फिर क्यूँ वो मातम मनाती रही |
बात जो कुछ भी थी बीच उसके मेरे,
बे-वफ़ा गैरों को क्यूँ बताती रही |
मैं तो मायूस था वो खफा थी मगर ,
मैं भुलाता रहा वो याद आती रही |
हर्ष महाजन
212 212 212 212
मेरी धड़कन को दुनिया मनाती रही,
चुप थी बे-दर्दी हम को रुलाती रही |
दिल था टूटा मगर मैं न टूटा कभी ,
बे-वफ़ा थी जो नज़रें चुराती रही |
इक खलिश थी मुझे उसको भी रंज था,
जाने फिर क्यूँ वो मातम मनाती रही |
बात जो कुछ भी थी बीच उसके मेरे,
बे-वफ़ा गैरों को क्यूँ बताती रही |
मैं तो मायूस था वो खफा थी मगर ,
मैं भुलाता रहा वो याद आती रही |
हर्ष महाजन
212 212 212 212
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