Saturday, June 12, 2021

बात जो दिल में फसी बाहर उछालो लोगो


बात जो दिल में फसी बाहर उछालो लोगो,

जो लगी आग अपने दिल से निकालो लोगो ।


रहनुमा बन के जिन्हें अपने मिटाने आये,

अब तो आँखों से वो पर्दा उठा लो लोगो ।


कौन है अपना यहाँ कौन पराया समझूँ,

कोई पत्थर तो न अपनों पे उछालो लोगो ।


थे तलबगार ओ फिदा उनकी अदाओं पे मगर,

अब वो रूठे हैं चलो उनको मना लो लोगो ।


जो सलीके से न समझेंगे कयामत होगी,

बेवज़ह बहकते अरमान सँभालो लोगो ।


टूटकर शाख़ से जो फूल गिरा करते हैं,

पाँव से मसले कोई उनको उठा लो लोगो ।


होके शर्मिंदा जिन्हें लौट कर जाना होगा,

'हर्ष' की महफिलों में उनको बुला लो लोगो ।


---हर्ष महाजन 'हर्ष'


बह्र: रमल मुसम्मन मख्बून महजूफ

2122 1122 1122 112(22)

दिल की आवाज़ भी सुन.........

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