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जाने निकल के घर से, सड़कों पे आते हैं क्यूँ,
ये लोग ज़िन्दगी को ठेंगा दिखाते हैं क्यूँ ।
क्यूँ बेखबर है दुनियाँ जब हर तरफ खबर है,
हर शख्स में है कातिल, ऐसा बताते हैं क्यूँ ।
कैसी है आपदा ये, हर शख्स डरा हुआ है,
खुदगर्ज़ बन के अपने घर को जलाते हैं क्यूँ ।
लाखों की भीड़ देखो, दिल्ली से चल पड़ी है
कुछ हो रही सियासत, जाने बताते हैं क्यूँ ।
इतने घने ये बादल, जाने गुबार किसका,
दुनियाँ से रोशनी को ऐसे चुराते हैं क्यूँ ।'
ये वक़्त बेवफा है, समझो तो ज़िन्दगी है,
वर्णा यूँ बस्तियों में, मातम बुलाते हो क्यूँ ।
-------हर्ष महाजन 'हर्ष'
221 2122 221 2122
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