Friday, May 1, 2020

मेरे दिल का कोई नवाब आ गया

...

मेरे दिल का कोई नवाब आ गया,
पुराने ख़तों का हिसाब आ गया ।

जिसे अब तलक मैं था समझा नहीं,
वो ले के पुरानी किताब आ गया ।

मुहब्बत ने पाई बुलंदी मगर,
क्युँ बहती नदी में सैलाब आ गया  ।

यूँ बिखरा हूँ मैं फूल बनकर अभी,
सुहाना मुझे याद ख़्वाब आ गया।

है अपना कोई दुश्मनों में यहाँ,
लगा कांटों में इक गुलाब आ गया ।

-हर्ष महाजन 'हर्ष'
122 122 122 12
तुम्हारी नज़र क्यूँ ख़फ़ा हो गयी ।

No comments:

Post a Comment