Saturday, July 17, 2021

इतना हुआ था बे-कदर ज़ख्मों को पी गया

 2212 2212 2212 12


इतना हुआ बे-कदर इन ज़ख्मों को पी गया,

इक बे-वफ़ा सी ज़िंदगी अश्कों मे जी गया |


कुछ इस तरह है अब मेरी यादोँ का ये सफ़र,

कुछ रिस रहें हैं ज़ख़्म अब कुछ मैं ही सी गया ।


यूँ इस तरह से गर्दिशों में छोड़कर मुझे,

नज़रों में था जो शख्स मेरे दिल से भी गया ।


दुनियाँ में जो मैं जी रहा इज़्ज़त ओ शान से,

क्या गर्दिश-ए-दौरा चला फिर नाम ही गया ।


वो बे-वफ़ा या बे-हया था यार वो मेरा,

शिकवे ज़ुबाँ पे रंज-ओ-ग़म ख़ुद मैं ही पी गया ।


हर्ष महाजन 'हर्ष'

16 comments:

  1. बहुत गमगीन ख्यालों को लिए लिखी है ग़ज़ल ।
    बहुत खूब।

    ReplyDelete
    Replies
    1. बेहद शुक्रिया आपका । आपकी ज़र्रानवाज़ी है । खुदा आपको सलामत रक्खे आदरणीय संगीता स्वरुप् जी।
      सादर ।💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐

      Delete
  2. हृदयस्पर्शी भावाभिव्यक्ति ।

    ReplyDelete
    Replies
    1. आपकी आमद औऱ उस पर आपकी होंसला अफ़ज़ाई के लिए तहे दिल से बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय मीना जी।💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐

      Delete

  3. आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" में बुधवार 21 जुलाई 2021 को साझा की गयी है.............. पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

    ReplyDelete
    Replies
    1. मेरी रचना "पांच लिंको का आनंद पर" रखने के लिए बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय पम्मी सिंह जी💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐

      Delete
  4. दर्द बयां करता हर शेर।
    शानदार अल्फाज़।

    ReplyDelete
    Replies
    1. बेहद शुक्रिया आदरणीय मन की वीणा जी ।
      सादर

      Delete
  5. कुछ इस तरह है अब मेरी यादोँ का ये सफ़र,

    कुछ रिस रहें हैं ज़ख़्म अब कुछ मैं ही सी गया ।

    बहुत ही हृदयस्पर्शी...
    लाजवाब।

    ReplyDelete
    Replies
    1. दिली दाद के लिए बेहद शुक्रिया आदरणीय सुधा जी ।
      सादर

      Delete
  6. वाह बेहतरीन गज़ल।
    हर बंध लाजवाब बस।

    प्रणाम सर
    सादर।

    ReplyDelete
    Replies
    1. बेहद शुक्रिया आदरणीय श्वेता जी ।
      सादर

      Delete
  7. यूँ इस तरह से गर्दिशों में छोड़कर मुझे,
    नज़रों में था जो शख्स मेरे दिल से भी गया ।
    वाह !

    ReplyDelete
    Replies
    1. बहुत बहुत शुक्रिया मीना जी

      Delete
  8. इसकी धुन कौनसे गीत पर है कृपयां बताएं 🙏

    ReplyDelete
    Replies
    1. आप अपना नाम तो दर्ज कीजियेगा.....
      आप उस धुन पर गुनगुना सकते हैं ।

      "दिल ढूँढ़ता है फिर वही फुरसत के रात दिन"

      Delete