Tuesday, June 29, 2021

बेवफ़ा को अश्क़ों की क्यूँ हो ख़बर

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बेवफ़ा को अश्क़ों की क्यूँ हो ख़बर,

कर गया दिल को मेरे जो बे- ज़िगर ।


चाँद उतरा है ज़मी पर थी ख़बर,

अब नहीं होता कोई मुझको असर ।


इतना अर्सा था वो मेरा आशना,

पर अधूरा कर गया मेरा सफ़र ।


जिन लबों पर मुस्कराहट थी कभी,

अब नहीं करती ख़बर कोई असर ।


अश्क़ों से दामन है इतना भर गया,

अब नहीं चाहत कोई हो हमसफ़र ।


जिनको मुद्दत से कोई तरसा किये,

कह नहीं सकते हो कोई मोतबर ।


आशियाँ दिल में बनाने के लिए,

सह लिया मैं बेवफ़ाई का क़हर ।


---हर्ष महाजन 'हर्ष'

2122 2122 212

"तुम न जाने किस जहॉं में खो गए"


मोतबर = भरोसेमंद

2 comments:

  1. लोग हो जाते हैं बे वफ़ा तो क्या हुआ
    ज़िन्दगी ने भी कब की है किससे वफ़ा ।

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    1. वाह खूब !!
      बेहद शुक्रिया आपका । आपकी ज़र्रानवाज़ी है । खुदा आपको सलामत रक्खे ।
      सादर ।💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐

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