अगर दूसरा प्यार छूकर गया है,
समझना हया का वो पर्दा उठा है ।
ज़ुबां पर भी चर्चे यूं होंगे जहां में,
यूं देखोगे तंजो से हर दिल भरा है ।
बहुत चाहोगे दिल से तुम गुनगुनाना,
मगर देखोगे साज टूटा पड़ा है ।
यूं निकलेंगे दिल से जो गम के फसाने,
लगेगी तुम्हें ज़िंदगी इक सज़ा है ।
बुलंदी मिलेगी मुहब्बत में लेकिन,
लगेगा ये इल्जाम तू बेवफ़ा है ।
हर्ष महाजन 'हर्ष'
122 122 122 122
"तेरे प्यार का आसरा चाहता हूं"
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