Tuesday, August 29, 2023

न दिल में रखना अना तू इतनी, कि वो मुहब्बत निगल न जाये

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न दिल में रखना अना तू इतनी, कि वो मुहब्बत निगल न जाये,

ख्याल रखना कि बिन तुम्हारे ये दिल से धड़कन निकल न जाये ।


तुम्हारी यादें हैं मेरी मंज़िल, तुझी से मेरा है आशियाँ अब,

बता दो तुम राजे दिल भी अपना, कहीं ये डर मुझको छल न जाये ।


थकी हैं पलकें हैं खुश्क आँखे, फ़क़त ये उलझन है बेबसी की,

हुए जो इतने निशब्द लब अब, कहीं ये चुप दिल को खल न जाए ।


ज़रा तो दिल में उतर के देखो, तमाम किस्से बदल गए हैं,

बड़ा ही दुश्मन है ये ज़माना, निगाहें उनकी निगल न जाये ।


उठी जो दिल पे ख़लिश सी इतनी, नज़र भी करती सवाल कितने,

कि अब अँधेरों की सरसराहट में दिल के अरमां ही ढल न जाये ।


हर्ष महाजन 'हर्ष'

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"छुपा लो यूँ दिल में प्यार मेरा कि जैसे मंदिर में लौ दिए की"

12 comments:

  1. बेहतरीन गज़ल सर।
    सादर।
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    जी नमस्ते,
    आपकी लिखी रचना शुक्रवार १ सितंबर २०२३ के लिए साझा की गयी है
    पांच लिंकों का आनंद पर...
    आप भी सादर आमंत्रित हैं।
    सादर
    धन्यवाद।

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  2. शुक्रिया श्वेता जी

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  3. Replies
    1. बहुत बहुत धन्यवाद आपका ।

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  4. बेहद शानदार ग़ज़ल
    बधाई

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    1. बहुत बहूत शुक्रिया ।

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  5. वाह!!!
    बहुत ही लाजवाब गजल...

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    1. पसंदगी के लिए बेहद शुक्रिया

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  6. आदरणीय सर बहुत ख़ूब,बेहतरीन ग़ज़लें

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    1. बहुत बहुत शुक्रिया आदरनीय ।

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