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ऐ खुदा मुझको ये होंसिला चाहिए,
किस तरह तू मिलेगा दुआ चाहिए ।
उठ चुका है समंदर में ऐसा भँवर,
कश्तियों को कोई रहनुमा चाहिए ।
गर्दिश-ए-दौरां का हूँ मैं मारा हुआ,
बक्श दे अब तेरा आसरा चाहिए ।
तेरे दर पे झुका हूँ झुका ही रहूँ,
इतनी तौक़ीर की इब्तिदा चाहिए ।
ज़ख्म इतने मिले दर्द शाम-ओ-सहर,
हो असर कोई ऐसी दवा चाहिए ।
चाँद दिखता नहीं बदलियाँ हैं बहुत,
दे झलक ऐसा इक आइना चाहिए ।
तू मुहब्बत करे मैं भी सज़दा करूँ
हमको ऐसा कोई सिलसिला चाहिए ।
गर हुआ महफिलों में कहीं उनका ज़िक्र,
सरफिरों से मुझे फ़ासिला चाहिए ।
ज़िन्दगी में बचा मुक्तसर सा सफर,
प्यार में 'हर्ष' अब इंतिहा चाहिए ।
हर्ष महाजन
212 212 212 212
ऐ खुदा मुझको ये होंसिला चाहिए,
किस तरह तू मिलेगा दुआ चाहिए ।
उठ चुका है समंदर में ऐसा भँवर,
कश्तियों को कोई रहनुमा चाहिए ।
गर्दिश-ए-दौरां का हूँ मैं मारा हुआ,
बक्श दे अब तेरा आसरा चाहिए ।
तेरे दर पे झुका हूँ झुका ही रहूँ,
इतनी तौक़ीर की इब्तिदा चाहिए ।
ज़ख्म इतने मिले दर्द शाम-ओ-सहर,
हो असर कोई ऐसी दवा चाहिए ।
चाँद दिखता नहीं बदलियाँ हैं बहुत,
दे झलक ऐसा इक आइना चाहिए ।
तू मुहब्बत करे मैं भी सज़दा करूँ
हमको ऐसा कोई सिलसिला चाहिए ।
गर हुआ महफिलों में कहीं उनका ज़िक्र,
सरफिरों से मुझे फ़ासिला चाहिए ।
ज़िन्दगी में बचा मुक्तसर सा सफर,
प्यार में 'हर्ष' अब इंतिहा चाहिए ।
हर्ष महाजन
212 212 212 212
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