तेरी सोहबत में दिल ये संभल जाएगा,
कर यकीं अब नहीं तो ये जल जाएगा ।
कर यकीं अब नहीं तो ये जल जाएगा ।
देख लेना कभी इश्क़ इन आँखोँ में,
थोड़ी चाहत दिखाना मचल जाएगा ।
तू ख़फ़ा है मुझे ये पता था मगर,
पर यकीं ये नहीं था बदल जायेगा ।
दिल में खामोशियाँ अब हैं पलने लगीं,
थोड़ा बहला देगा ये उछल जाएगा ।
हमसफ़र छोड़ मेहमान बन तू मुझे,
कैसे कर लूँ यकीं मुझको छल जाएगा ।
हर्ष महाजन 'हर्ष'
212 212 212 212
सुन्दर ग़ज़ल का सृजन
ReplyDeleteबेहद धुक्रिया आदरनीय विभा रानी जी ।
Deleteआदरनीय पम्मी जी पांच लिंको पर ये रचना चस्पा करने हेतु बहुत बहुत शुक्रिया ।
ReplyDeleteबेहद खूबसूरत ग़ज़ल।
ReplyDeleteसबसे पहले तो आपका होंसिला अफ़ज़ाई के लिए शुक्रिया । जहां तक पेशकश का सवाल है आपकी समीक्षा का हमेशा मुंतज़र रहूंगा । अच्छा लगा आने अपना कीमती वक़्त मेरी इस पेशकश पर दिया ।💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐
Delete