जो भी मिला गुलाब किताबों में रख लिया,
है फर्क बस कि तुमने हिसाबों में रख लिया ।
हमको तो दर्द-ए-शौक-ओ-तमन्ना भी खूब थी,
तुमसे मिला था जो भी हिज़ाबों में रख लिया ।
अम्न-ओ-सकून चैन यहाँ तब से खो गया,
चेहरा उन्होंने जब से नकाबों में रख लिया ।
ये डर है तुमको खो न दें इस ख्याल से,
लम्हात था जो कीमती ख्वाबों में रख लिया ।
मीठी ज़ुबाँ का हमपे हुआ इस कदर असर,
लहज़ा मिज़ाज़ तुमसा जवाबों में रख लिया ।
हर्ष महाजन 'हर्ष'
221 2121 1221 212
14 जनवरी 22
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