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न जाने कैसा होता है बता बरसात का मौसम,
कभी गर्मी कभी उम्मस कहा बरसात का मौसम |
हुआ जाता हूँ घायल जब भी आऊँ उसके कूचे में,
यही होता है क्या मुझको बता बरसात का मौसम |
यूँ सावन के महीने में जुदा होकर चले जाना,
कहे ये आँख का पानी हुआ बरसात का मौसम |
कभी मैं टूटकर उस पर घटाओं सी कड़कता था,
तो अक्सर उसकी आखों में दिखा बरसात का मौसम |
जुदाई में यूँ तडपा हूँ कि दिल की आग कहती है,
घटाओ खूब बरसो, हो चला, बरसात का मौसम |
हर्ष महाजन
बहरे हज़ज़ मुसमन सालिम
1222-1222-1222-1222
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