Wednesday, August 26, 2020

जाम खाली सामने खलते रहे



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जाम खाली सामने खलते रहे,
ज़ख़्म दिल के दिल में ही पलते रहे l

नीदों से जब हो गए हम बेदखल,
साथ बीते दिन सभी खलते रहे ।

चाँद जब बदली से फिर-फिर झाँकता,
दिल में उठते कुछ भँवर छलते रहे ।

ज़िन्दगी वीरान जब होने लगी,
सपने फिर बन ख़ौफ़ सँग चलते रहे ।

इन लबों पर क्यूँ भला आती हँसी,
आफ़ताब-ए-इश्क़ में जलते रहे ।

-हर्ष महाजन 'हर्ष'

2122 2122 212
'दिल के अरमां आंसुओं में बह गए'

Friday, August 21, 2020

अपने जीते जी ये दवा कर ले

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अपने जीते जी ये दवा कर ले,
मौत से पहले ही दिया कर ले ।

बेवफा और दुनियाँ में कातिल,
कर दे कामिल तु या फनां कर ले ।

हम तो हैं वक़्त के सुनो पाबंद,
मेरे संग मिल के ये दुआ कर ले ।

मैं तो घबरा गया हूँ इस जग में,
या ख़ुदा मुझ्को आशना कर ले ।

दर्दे ग़म अपनों का सहूँ कितना,
आ ख़ुदा दुनियाँ से जुदा कर ले ।

जो तू चाहे दिवानगी से अगर,
प्यार की आ तू इंतिहा कर ले ।

धौंकिनी सी लगी चले दिल पर,
दिल से दिल आ के मुब्तिला कर ले ।

कोई पूछेगा मुझसे क्यूँ आखिर,
आके कोई भी मशविरा कर ले ।

चाँद तो पहले ही ख़फ़ा लेकिन,
कोई तो मुझसे फिर वफ़ा कर ले ।

मेरा मकसूद मेरी मंज़िल पर,
है तुझे ग़म तो आ गिला कर ले ।

है तू अब भी मुहब्बतों में अगर,
लग ज़िगर और हौंसला कर ले ।


-------हर्ष महाजन 'हर्ष'

2122 1212 22(112)
"मेरी किस्मत में तू नहीं शायद"

Tuesday, August 11, 2020

लगा दोस्तों को गँवारा नहीं था

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लगा  दोस्तों को  गँवारा नहीं था,
तभी महफ़िलों में पुकारा नहीं था ।

ज़ुदा तो हुए सब बहे अश्क़ इतने,
मग़र अश्क़ कोई हमारा नहीं था ।

ये चाहा करूँ बेदख़ल उनको ख़ुद से,
मग़र हमको दिल का इशारा नहीं था ।

बहुत मात लहरों को दी हमने लेकिन,
समंदर में कोई, किनारा नहीं था ।

लकीरों में हर पल थे ढूँढा किये हम,
अभी दिल से जिनको उतारा नहीं था ।

सफर तो दिलों का था मुश्किल नहीं पर,
अना में किसी ने पुकारा नहीं था ।

उठी इतनी नफ़रत अचानक दिलों में,
जुदाई बिना अब गुज़ारा नहीं था ।

हमें हमसफ़र अब मिले भी तो कैसे,
मुक़द्दर का कोई भी मारा नहीं था ।

---------हर्ष महाजन 'हर्ष'

122 122 122 122
"तेरे प्यार का आसरा चाहता हूँ ।"

Wednesday, August 5, 2020

जो दुश्मन है कभी तुमको नहीं अपना कहा करते,

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जो दुश्मन है कभी तुमको नहीं अपना कहा करते,
ये कलयुग है यहॉं अपने नहीं अपने हुआ करते ।

कभी मैंने किसी का भी बुरा चाहा नहीं अब तक,
मगर किस्मत ने हाथों में लिखी ठोकर तो क्या करते ।

जिन्हें है ग़म कि दुनियाँ में क्युँ ऊपर है ख़ुदा उनसे,
हुआ मंज़र तबाही का ख़ुदा भी क्या वफ़ा करते ।

नहीं मैं बेख़बर अब रूबरू हूँ मौत से लेकिन,
यहाँ पर दोस्त दुश्मन से भी बदतर क्यूँ जफ़ा करते ।

ज़माने में हुआ करते है ऐसे भी ये मंज़र क्यों,
वफ़ा करके भी आंखों में समन्दर क्यों रहा करते ।

------हर्ष महाजन 'हर्ष'

1222 1222 1222 1222
"मुहब्बत हो गयी जिनको वो परवाने कहां जाएं"

Monday, August 3, 2020

गर मुहब्बत सहारा नहीं

सुफआना कलाम

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गर मुहब्बत सहारा नहीं,
दुश्मनी से गुज़ारा नहीं ।

पास अपने बुला लो हमें,
या तो कह दो तुम्हारा नहीं ।

दूरियाँ सह न पायेंगे हम,
तेरे बिन अब गुज़ारा नहीं ।

प्यार मिलता है तकदीर से,
फिर मिलेगा दुबारा नहीं ।

अपने मन पे है कैसा गरूर,
हो सका ये हमारा नहीं ।

'हर्ष' है तो ख़ुशी हर तरफ़,
दूर हुए गर ख़ुदारा नहीं ।

हर्ष महाजन 'हर्ष'

ख़ुदारा= किसी चीज़ का छोटा सा अंश

बहर:
212 212 212 

*ज़िन्दगी प्यार का गीत है*