Tuesday, August 29, 2023

न दिल में रखना अना तू इतनी, कि वो मुहब्बत निगल न जाये

 ***


न दिल में रखना अना तू इतनी, कि वो मुहब्बत निगल न जाये,

ख्याल रखना कि बिन तुम्हारे ये दिल से धड़कन निकल न जाये ।


तुम्हारी यादें हैं मेरी मंज़िल, तुझी से मेरा है आशियाँ अब,

बता दो तुम राजे दिल भी अपना, कहीं ये डर मुझको छल न जाये ।


थकी हैं पलकें हैं खुश्क आँखे, फ़क़त ये उलझन है बेबसी की,

हुए जो इतने निशब्द लब अब, कहीं ये चुप दिल को खल न जाए ।


ज़रा तो दिल में उतर के देखो, तमाम किस्से बदल गए हैं,

बड़ा ही दुश्मन है ये ज़माना, निगाहें उनकी निगल न जाये ।


उठी जो दिल पे ख़लिश सी इतनी, नज़र भी करती सवाल कितने,

कि अब अँधेरों की सरसराहट में दिल के अरमां ही ढल न जाये ।


हर्ष महाजन 'हर्ष'

12122 12122 12122 12122

"छुपा लो यूँ दिल में प्यार मेरा कि जैसे मंदिर में लौ दिए की"

Monday, June 13, 2022

अगर दूसरा प्यार छूकर गया है

 

अगर दूसरा प्यार छूकर गया है,
समझना हया का वो पर्दा उठा है ।

ज़ुबां पर भी चर्चे यूं होंगे जहां में,
यूं देखोगे तंजो से हर दिल भरा है ।

बहुत चाहोगे दिल से तुम गुनगुनाना,
मगर देखोगे साज टूटा पड़ा है ।

यूं निकलेंगे दिल से जो गम के फसाने,
लगेगी तुम्हें ज़िंदगी इक सज़ा है ।

बुलंदी मिलेगी मुहब्बत में लेकिन,
लगेगा ये इल्जाम तू बेवफ़ा है ।

हर्ष महाजन 'हर्ष'

122 122 122 122
"तेरे प्यार का आसरा चाहता हूं"


Monday, April 4, 2022

उनके किस्से नए भी पुराने लगे

 

उनके किस्से नए भी पुराने लगे,
जो भी दिन थे पुराने सुहाने लगे ।

उनकी ज़ुल्फ़ों तले शाम होगी कभी,
ऐसा मौसम बना पर ज़माने लगे ।

ज़ख्म नखरों ने उनके दिए थे बहुत,
आहें निकली तो उनको तराने लगे ।

जिनके आने से दिल था समंदर हुआ,
गैर की बाहों में दिल लुटाने लगे ।

रो पड़ा था फलक बेवफा देखकर,
फिर पुराने बहाने सुनाने लगे ।

हर्ष महाजन 'हर्ष'
212 212 212 212
"तुम अगर साथ देने का वादा करो"


Saturday, March 12, 2022

बहुत बदनाम कर के छोड़ा उसने इस जमाने में

बहुत बदनाम कर के छोड़ा उसने इस जमाने में,
लगेंगी सदियाँ मुझको बे-वफ़ा के ग़म भुलाने में ।

ये उसकी ज़िद थी ज़ख़्मों का रहे मेरा सफ़ऱनामा, 
लगाई बेसबब फिर तोहमतें उसने सताने में ।

दिखाया इश्क़ उसने आसतीं का साँप था लेकिन,
सुनाकर जुल्फों के नग्में वो आया आशियानें में ।

जगाकर दिल की धड़कन शहर-ए-दिल जब कर दिया रोशन,
भरी महफ़िल में था फिर मुब्तिला रहबर बनाने में ।

मुहब्बत में कहीं मैं इस तरह मशहूर हो जाता,
लगाता बरसों मैं भी दोस्ती को आजमाने में । 

हर्ष महाजन 'हर्ष'
1222 1222 1222 1222
इन नग्मों की धुन पर गुनगुनाइए
👇👇
1. मुहब्बत हो गई जिनको वो परवाने कहां जाएं
2. मुझे तेरी मुहब्बत का सहारा मिल गया होता 
3. चलो इक बार फिर से अजनबी बन जाए हम दोनों 

Monday, March 7, 2022

ख़ुदा के सामने सर को झुका लेता तो अच्छा था

ख़ुदा के सामने सर को झुका लेता तो अच्छा था ,
ज़रा से ग़म ही थे उनको छुपा लेता तो अच्छा था ।

कभी लिख कर ख़तों में उनको सच खुद ही बता देता,
मुहब्बत में अना को खुद हटा लेता तो अच्छा था ।

उठीं जो बद्दुआए थीं कभी उनके लिए लेकिन,
वो थे तो ज़िंदगी मेरी बचा लेता तो अच्छा था ।

दरींचों से मैं उनके दिल में दाखिल तो हुआ लेकिन,
जो उसमें आग नफ़रत की बुझा लेता तो अच्छा था ।

खुशी से झूमना चाहत थी उनकी पर मिली गफ़लत,
ज़रा उनके लिए मैं मुस्करा लेता तो अच्छा था ।

उन्हें था नाज़ जुल्फों पर मगर उम्मीद कुछ हमसे,
मैं उनकी जुल्फें ग़ज़लों में सजा लेता तो अच्छा था ।

लबों पर प्यास शिद्दत से मगर थी दर्द से नफरत,
छुपा कर दर्द आंखों में बसा लेता तो अच्छा था ।

हर्ष महाजन 'हर्ष'
1222 1222 1222 1222

Tuesday, March 1, 2022

इतनी सी बात गर ये बशर जान जाएगा

इतनी सी बात गर ये बशर जान जाएगा,
नश्वर जहाँ से तन्हा ये इंसान जाएगा ।

तेरे हकूक तेरे नहीं सब खुदा का है,
थोड़ा जहाँ में ठहर तू पहचान जाएगा ।

कितना संभल के भी तू बना अपना आशियाँ,
मत सोच खाली कोई भी तूफ़ान जाएगा । 

गर ज़िन्दगी में तुझको लगे डर अँधेरों से,
नज़रें टिकाना संग निगहबान जाएगा ।

है इल्तिज़ा ख़ुदा से बसा दे बशर कोई,
जो लिख के हिज़्र पर कोई दीवान जाएगा ।

हर्ष महाजन 'हर्ष'
221 2121 1221 212

Sunday, February 27, 2022

न जाने मुझको वो क्यूँ तलखियाँ दिखा के गया

न जाने मुझको वो क्यूँ तलखियाँ दिखा के गया,
था बावफ़ा वो मगर मुझको क्यूँ रुला के गया ।

हुआ यकीन मुझे इस फरेबी दुनियाँ पे अब,
गुलाब बन जो मिला कांटे फिर चुभा के गया ।

शिकायतें थीं मुझे पर गिले भी उसको बहुत,
ख्याल अपनी वो ग़ज़लों में कुछ सुना के गया ।

निभा रहा था वो शिद्दत से दोस्ती को मगर,
जले चरागों को दिल से वो क्यूँ बुझा के गया ।

यकीं था इश्क़ पे जिसको गुमाँ भी मुझपे बहुत,
जुदाई के वो सनम दिन क्यूँ अब थमा के गया ।

हर्ष महाजन 'हर्ष'
1212 1122 1212 22/112

गुनगुनाइए इस धुन पर:-

◆न मुँह छुपा के जियो औऱ न सर झुका के जियो ।