सुफआना कलाम
***
गर मुहब्बत सहारा नहीं,
दुश्मनी से गुज़ारा नहीं ।
पास अपने बुला लो हमें,
या तो कह दो तुम्हारा नहीं ।
दूरियाँ सह न पायेंगे हम,
तेरे बिन अब गुज़ारा नहीं ।
प्यार मिलता है तकदीर से,
फिर मिलेगा दुबारा नहीं ।
अपने मन पे है कैसा गरूर,
हो सका ये हमारा नहीं ।
'हर्ष' है तो ख़ुशी हर तरफ़,
दूर हुए गर ख़ुदारा नहीं ।
हर्ष महाजन 'हर्ष'
ख़ुदारा= किसी चीज़ का छोटा सा अंश
बहर:
212 212 212
*ज़िन्दगी प्यार का गीत है*
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गर मुहब्बत सहारा नहीं,
दुश्मनी से गुज़ारा नहीं ।
पास अपने बुला लो हमें,
या तो कह दो तुम्हारा नहीं ।
दूरियाँ सह न पायेंगे हम,
तेरे बिन अब गुज़ारा नहीं ।
प्यार मिलता है तकदीर से,
फिर मिलेगा दुबारा नहीं ।
अपने मन पे है कैसा गरूर,
हो सका ये हमारा नहीं ।
'हर्ष' है तो ख़ुशी हर तरफ़,
दूर हुए गर ख़ुदारा नहीं ।
हर्ष महाजन 'हर्ष'
ख़ुदारा= किसी चीज़ का छोटा सा अंश
बहर:
212 212 212
*ज़िन्दगी प्यार का गीत है*
आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज मंगलवार 04 अगस्त 2020 को साझा की गई है.... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
ReplyDeleteमेरी ग़ज़ल को स्थान देने के लिए बहुत बहुत शुक्रिया ।
Deleteलाजवाब
ReplyDeleteशुक्रिया सुशील जी ।
Deleteलाजवाब
ReplyDeleteबेहद शुक्रिया अनीता जी ।
Deleteबहुत बहुत आभार आदरणीय ।
ReplyDeleteवाह!लाजवाब।
ReplyDeleteसादर
शुक्रिया अनीता जी ।
Deleteसादर