...
कोई अश्कों से ये पूछे क्यूँ लरजें खूब पलकों पर,
कहीं दिल को है गहरी चोट आये खुद न सड़कों पर |
कहीं कुछ वोट की खातिर कहीं कुछ नोट की खातिर,
कहीं मैखानों में बिकते हैं हलके लोग हलकों पर |
कहीं ऐसा न हो तस्वीर दिल में खुद बदल जाए,
न उठ जाए कहीं एतबार किस्मत की लकीरों पर |
कोई बरसात ऐसी हो जो पानी को ही मय कर दे,
शहर बन जाएगा जंगल लगेगी भीड़ नलकों पर |
अगर फरहाद कोई शहर का सरताज हो जाए,
न उजड़े कोई भी दिलभर करेंगे राज़ मुल्कों पर |
_____________हर्ष महाजन
बहर :-
1222 1222 1222 1222
कहीं मैखानों में बिकते हैं हलके लोग हलकों पर |
कहीं ऐसा न हो तस्वीर दिल में खुद बदल जाए,
न उठ जाए कहीं एतबार किस्मत की लकीरों पर |
कोई बरसात ऐसी हो जो पानी को ही मय कर दे,
शहर बन जाएगा जंगल लगेगी भीड़ नलकों पर |
अगर फरहाद कोई शहर का सरताज हो जाए,
न उजड़े कोई भी दिलभर करेंगे राज़ मुल्कों पर |
_____________हर्ष महाजन
बहर :-
1222 1222 1222 1222
No comments:
Post a Comment