***
मेरी हसरत तू है, बिछुड़ोगे किधर जाओगे,
दिल में उल्फ़त है मेरे इतनी निखर जाओगे ।
जब भी उट्ठेगा भँवर दिल में तेरी यादों का,
है यकीं ख़्वाबों में तुम खुद ही उतर जाओगे ।
ये नसीबा है तेरा मेरी वफ़ा की ख़ातिर,
वरना मौसम की तरह यूँ ही गुज़र जाओगे ।
अपने किरदार को तुम जल्द सँभालो वरना,
इस ज़माने की निग़ाहों से उतर जाओगे ।
यूँ हक़ीक़त में न ख़्वाबों से गिराना मुझको,
मैं गिरा दूंगा जो नज़रों से किधर जाओगे ।
कोई फ़रियाद तेरे दिल में अगर है तो कहो,
पाँव रक्खोगे दो कश्ती में बिख़र जाओगे ।
ज़ुल्म देखेगा ज़माना भी मुहब्बत पे सितम,
मुझसे उल्फ़त का सफ़र छोड़ अगर जाओगे ।
--हर्ष महाजन 'हर्ष'
2122 1122 1122 22
पाँव छू लेने दो फूलों को इनायत होगी ।
मेरी हसरत तू है, बिछुड़ोगे किधर जाओगे,
दिल में उल्फ़त है मेरे इतनी निखर जाओगे ।
जब भी उट्ठेगा भँवर दिल में तेरी यादों का,
है यकीं ख़्वाबों में तुम खुद ही उतर जाओगे ।
ये नसीबा है तेरा मेरी वफ़ा की ख़ातिर,
वरना मौसम की तरह यूँ ही गुज़र जाओगे ।
अपने किरदार को तुम जल्द सँभालो वरना,
इस ज़माने की निग़ाहों से उतर जाओगे ।
यूँ हक़ीक़त में न ख़्वाबों से गिराना मुझको,
मैं गिरा दूंगा जो नज़रों से किधर जाओगे ।
कोई फ़रियाद तेरे दिल में अगर है तो कहो,
पाँव रक्खोगे दो कश्ती में बिख़र जाओगे ।
ज़ुल्म देखेगा ज़माना भी मुहब्बत पे सितम,
मुझसे उल्फ़त का सफ़र छोड़ अगर जाओगे ।
--हर्ष महाजन 'हर्ष'
2122 1122 1122 22
पाँव छू लेने दो फूलों को इनायत होगी ।
No comments:
Post a Comment