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मेरी चिंता मत कर लेकिन, दिल की चिंता जारी रख,
कितने बलवे झेले तूने, यारों से अब यारी रख |
उनके ज़ुल्मों से तंग आकर, मर्यादा मत भूलो तुम,
कर्मों का सब लेखा है ये, अपना मन मत भारी रख ।
जब देखो वो सरहद पर, बारूदी खेलों में मशगूल,
ताँका-झांकी बंद न होगी अपनी भी तैयारी रख ।
कब तक बिजली गर्जन कर तू बादल पर मंडरायेगी,
पापी तुझको भूलें हैं सब, अपनी भागीदारी रख ।
मैखाने में गिर कर उठना पीने वालों का दस्तूर,
कितने बलवे झेले तूने, यारों से अब यारी रख |
उनके ज़ुल्मों से तंग आकर, मर्यादा मत भूलो तुम,
कर्मों का सब लेखा है ये, अपना मन मत भारी रख ।
जब देखो वो सरहद पर, बारूदी खेलों में मशगूल,
ताँका-झांकी बंद न होगी अपनी भी तैयारी रख ।
कब तक बिजली गर्जन कर तू बादल पर मंडरायेगी,
पापी तुझको भूलें हैं सब, अपनी भागीदारी रख ।
मैखाने में गिर कर उठना पीने वालों का दस्तूर,
मत गिर जाना नज़रों से तू, इतनी तो खुद्दारी रख ।
_____________हर्ष महाजन ©
2222 2222 2222 222
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