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तेरे सिजदे में बाबा सर झुका कर मैं भी देखूंगा,
तले पांवों के होंमें खुद दबा कर मैं भी देखूंगा ।
तेरे इस नूर की चादर से दाता दूर मैं क्यूँ हूँ,
उठा दे पर्दा पापी का, दया कर मैं भी देखूंगा ।
मैं कामी क्रोधी लोभी और दाता तू है बक्शनहार,
तेरे दर्शन को अब सचखंड में आकर मैं भी देखूंगा ।
अनंत रूहों को तूने उनके पापों से उभारा है,
रूहानी मंडलों में तेरे जाकर मैं भी देखूंगा ।
मैं अपने ही अहम् का बरसों से मारा हुआ लेकिन,
हुई रहमत तेरी, दुंनियां भुलाकर मैं भी देखूंगा ।
-----------------------हर्ष महाजन
तेरे सिजदे में बाबा सर झुका कर मैं भी देखूंगा,
तले पांवों के होंमें खुद दबा कर मैं भी देखूंगा ।
तेरे इस नूर की चादर से दाता दूर मैं क्यूँ हूँ,
उठा दे पर्दा पापी का, दया कर मैं भी देखूंगा ।
मैं कामी क्रोधी लोभी और दाता तू है बक्शनहार,
तेरे दर्शन को अब सचखंड में आकर मैं भी देखूंगा ।
अनंत रूहों को तूने उनके पापों से उभारा है,
रूहानी मंडलों में तेरे जाकर मैं भी देखूंगा ।
मैं अपने ही अहम् का बरसों से मारा हुआ लेकिन,
हुई रहमत तेरी, दुंनियां भुलाकर मैं भी देखूंगा ।
-----------------------हर्ष महाजन
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