...
ये सदन अब ऎसी दुकां हुआ,
काफिरों का जमघट जहां हुआ |
काफिरों का जमघट जहां हुआ |
है सियासी दाव न शर्म कोई,
सरफिरों का लगता मकां हुआ |
अब ज़बीं पे जिसके न दाग हो,
ये सदन अब कैसा जवां हुआ |
क्यूँ घुला है सांसदों में ज़हर,
जबकि वोटों से इम्तिहां हुआ |
क्यूँ फलक ज़मी पे झुका दिया,
की ग़ज़ल में हिन्दोस्तां हुआ |
ये नतीजा अब.....बैर का नहीं,
देख क्या किसके दरमियाँ हुआ |
जो वतन से गर इश्क मर गया,
तो समझना गर्दिश समां हुआ |
सांसदों के हाथों....कमान देख,
हर बशर भी अब परीशां हुआ |
____हर्ष महाजन
बशर=आदमी
2122 2212 12
सरफिरों का लगता मकां हुआ |
अब ज़बीं पे जिसके न दाग हो,
ये सदन अब कैसा जवां हुआ |
क्यूँ घुला है सांसदों में ज़हर,
जबकि वोटों से इम्तिहां हुआ |
क्यूँ फलक ज़मी पे झुका दिया,
की ग़ज़ल में हिन्दोस्तां हुआ |
ये नतीजा अब.....बैर का नहीं,
देख क्या किसके दरमियाँ हुआ |
जो वतन से गर इश्क मर गया,
तो समझना गर्दिश समां हुआ |
सांसदों के हाथों....कमान देख,
हर बशर भी अब परीशां हुआ |
____हर्ष महाजन
बशर=आदमी
2122 2212 12
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