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आज भारत की जमीं पर ऐसा क्यूं आतंक है,
अपनो का गैरों से मिलके साजिशों का रंग है ।
कौन किसके दर्द की रक्खे खबर इस देश में,
हर तरफ आतंकी हमले हर तरफ हुड़दंग है ।
बाहरी दुश्मन की ज़रूरत हिन्द को अब है कहाँ,
अपना हर नेता उजड कर बन रहा आतंक हैं ।
जो बहाते खून उनके हौंसले हैं क्यूं बुलंद,
है पता उनको यहां सर्पों सी फ़ौजें संग है ।
जिस तरह अब मौत का तांडव मचा है घाटी में,
मर रहे आतंकी पर तड़पे हैं वो जो भुजंग है ।
-------------------हर्ष महाजन 'हर्ष'
आज भारत की जमीं पर ऐसा क्यूं आतंक है,
अपनो का गैरों से मिलके साजिशों का रंग है ।
कौन किसके दर्द की रक्खे खबर इस देश में,
हर तरफ आतंकी हमले हर तरफ हुड़दंग है ।
बाहरी दुश्मन की ज़रूरत हिन्द को अब है कहाँ,
अपना हर नेता उजड कर बन रहा आतंक हैं ।
जो बहाते खून उनके हौंसले हैं क्यूं बुलंद,
है पता उनको यहां सर्पों सी फ़ौजें संग है ।
जिस तरह अब मौत का तांडव मचा है घाटी में,
मर रहे आतंकी पर तड़पे हैं वो जो भुजंग है ।
-------------------हर्ष महाजन 'हर्ष'
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