Saturday, December 25, 2021

ऐसे नसीब का तू बता खुद भी क्या करूँ

 बीती है किस तरह से कहूँ अजनबी के साथ,
खेला हो खेल जैसे मेरी ज़िंदगी के साथ ।

ऐसे नसीब का तू बता खुद भी क्या करूँ,
जो दे रहा सलाम मुझे बेरूखी के साथ ।

वो शख्स चल दिया है मेरा बन के हमसफर,
होते रहे थे हादसे जिस आदमी के साथ । 

शिकवे गिले भी खूब रहे मुझको नसीब से,
है इल्तिज़ा ख़ुदाया न हो ये किसी के साथ ।

आया नहीं था मुझको कभी  इतना सा हुनर,
रोता फिरूँ मैं खुशियों में भी बेबसी के साथ ।

किस-किस तरह से आ गिरी रिश्तों पे बिजलियाँ,
टूटा था रिश्ता मेरा मगर सादगी के साथ ।

रिश्ता यूँ रक्खा ताक पे उसने भी इस तरह,
गुजरी हो अजनबी की जैसे अजनबी के साथ ।

हर्ष महाजन 'हर्ष'
221 2121 1221 212
"मिलती है ज़िन्दगी में मुहब्बत कभी-कभी"

19 comments:

  1. आपकी लिखी रचना  ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" सोमवार 27 दिसम्बर 2021 को साझा की गयी है....
    पाँच लिंकों का आनन्द पर
    आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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    1. मेरी रचना को "पाँच लिंकों का आनन्द पर" में स्थान देने के लिए धन्यवाद

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  2. हर एक शेर लाजवाब । बहुत उम्दा गज़ल ।

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    1. बेहद शुक्रिया जिज्ञासा जी

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  3. किस-किस तरह से आ गिरी रिश्तों पे बिजलियाँ,
    टूटा था रिश्ता मेरा मगर सादगी के साथ ।
    वाह! लाजवाब...

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    1. आआपकि आमाद के लिए धन्यवाद

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  4. किस-किस तरह से आ गिरी रिश्तों पे बिजलियाँ,
    टूटा था रिश्ता मेरा मगर सादगी के साथ ।

    रिश्ता यूँ रक्खा ताक पे उसने भी इस तरह,
    गुजरी हो अजनबी की जैसे अजनबी के साथ ।

    वाह , हर शेर उम्दा ।।लाजवाब ग़ज़ल ।

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    1. बेहद शुक्रया आदरनीय

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  5. बीती है किस तरह से कहूँ अजनबी के साथ,
    खेला हो खेल जैसे मेरी ज़िंदगी के साथ ।
    वाह!हर शेर लाजवाब 🙏

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  6. किस-किस तरह से आ गिरी रिश्तों पे बिजलियाँ,
    टूटा था रिश्ता मेरा मगर सादगी के साथ ।
    मार्मिक।

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  7. बेहतरीन ग़ज़ल, हर शेर मुकम्मल हर शेर लाजवाब।

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  8. शिकवे गिले भी खूब रहे मुझको नसीब से,
    है इल्तिज़ा ख़ुदाया न हो ये किसी के साथ ।
    बेहद खूबसूरत पंक्तियां, लाजबाव सृजन

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  9. किस-किस तरह से आ गिरी रिश्तों पे बिजलियाँ,
    टूटा था रिश्ता मेरा मगर सादगी के साथ ।
    बहुत ही सुन्दर गजल
    सभी शेर बहुत उम्दा
    वाह!!!

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  10. सादर नमस्कार ,

    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार(28-12-21) को मेहमान कुछ दिन का अब साल है"(चर्चा अंक4292)पर भी होगी।
    आप भी सादर आमंत्रित है..आप की उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ायेगी .
    --
    कामिनी सिन्हा

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  11. हर एक शेर अव्वल ।
    गज़ब कर दिया भाई साब
    वाह।
    ...खुशियो में भी बेबसी के साथ... कमाल है भी कमाल।

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  12. बेहतरीन प्रस्तुति

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  13. आप सभी के खूबसूरत अल्फासों के लिए बेहद शुक्रिया ।

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