...
अपने होटों पे सदा हम तो दुआ रखने लगे,
बे-वफाओं से भी हम तो अब वफ़ा रखने लगे|
है हुनर चुपके से धड़कन में उतर जाने का बस,
पर जो दुश्मन हैं बहुत दिल में सजा रखने लगे |
ज़िंदगी दी है खुदा ने और दी ये भी अदा ,
गर उठे उँगली नियत पर तो अना रखने लगे |
हम तो थे बेताब कड़कें बिजलियाँ बन के सदा,
पर लबालब खुद को अश्कों में सदा रखने लगे |
हम तो प्यासे थे बहुत, नदिया तलाशी थी मगर,
पर फलक भी बादलों में अब हवा रखने लगे |
थी दुआ उनकी चले जाएँ अभी दुनियां से हम,
हो असर इतना दुआ में हम दुआ रखने लगे |
नफरतें औ साजिशें हम पर फिदा होने लगीं,
ले मुक़द्दर हाथ में हम भी अदा रखने लगे |
हर्ष महाजन
.
2122 2122 2122 212
(रमल मुसम्मन मह्जुफ़)
पर जो दुश्मन हैं बहुत दिल में सजा रखने लगे |
ज़िंदगी दी है खुदा ने और दी ये भी अदा ,
गर उठे उँगली नियत पर तो अना रखने लगे |
हम तो थे बेताब कड़कें बिजलियाँ बन के सदा,
पर लबालब खुद को अश्कों में सदा रखने लगे |
हम तो प्यासे थे बहुत, नदिया तलाशी थी मगर,
पर फलक भी बादलों में अब हवा रखने लगे |
थी दुआ उनकी चले जाएँ अभी दुनियां से हम,
हो असर इतना दुआ में हम दुआ रखने लगे |
नफरतें औ साजिशें हम पर फिदा होने लगीं,
ले मुक़द्दर हाथ में हम भी अदा रखने लगे |
हर्ष महाजन
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2122 2122 2122 212
(रमल मुसम्मन मह्जुफ़)
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