Friday, May 27, 2016

मुझको जीने का खुदा आके सलीका दे दे


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मुझको जीने का खुदा आके सलीका दे दे
हूँ  मुहब्बत में कोई आके तरीका दे दे ।

प्यार जिससे है मुझे उसके फ़साने हैं बहुत

ऐ खुदा चुपके से ज़ख्मों का ज़खीरा दे दे ।


जाने दुनिया ने क्यूँ झाँका मेरे दिल में यूँ ही
राज़ कोई तो मुहब्बत का लचीला दे दे |

कर दिया उसने कतल फिर भी मैं टुकड़ों में जिया,

अर्ज़ इतनी है खुदा दिल भी फकीरा दे दे ।


रात दिन मुझको सताये है वो बनके साया,
जा बसूं दिल में मैं उसके वो सलीका दे दे |


हर्ष महाजन

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