...
अब ज़िन्दगी के ज़ख्म
सब तहरीर करूंगा,
जो भी किये गुनाह
सब शमशीर करूंगा |
दुनिया में मेरे
कोई गम-ए-हिज्र चलेगा,
मैं उम्र भर उस शख्स
की तौकीर करूंगा ।
गैरों के घर में
बे-वफ़ा गर दीप जलेगा
उनकी जुबां तराश
कर मैं तीर करूंगा ।
गर हो अदाएं तेरी मेरी शाम बनेगी
तेरी कसम मैं जुल्फों
को ज़ंजीर करूंगा ।
दिल तेरा गर धडकेगा
मेरी साँसे चलेंगी,
हर शाम को रंगीन
सी तस्वीर करूंगा ।
हर्ष महाजन
तौकीर = सम्मान
हर्ष महाजन
तौकीर = सम्मान
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