Tuesday, June 16, 2020

मेरा कोई भी वस्ल-ए-यार नहीं

***

मेरा कोई भी वस्ल-ए-यार नहीं,
तुम भी कहते हो ऐतबार नहीं ।

 देखी दिलकश अदा जो आखों में,
कैसे कह दूँ कि तुझको प्यार नहीं 

राज-ए-दिल कैसे कोई जानेगा,
कोई ग़म है या कह दे यार नहीं ।

मुझको देखा भी तूने परखा भी,
कैसे समझूँ तू बेकरार नहीं ।

करना होगा तुझे यकीं मुझ पर,
देखा है मुझसा राज़दार नहीं ।

खेले लब पे तेरे हँसी अब क्यूँ,
क्या तुझे मेरा इन्तिज़ार नहीं 

जाम-ए-उल्फ़त नहीं पिया लेकिन ,
अब तुझे खुद पे इख़्तियार नहीं ।

गर ये दुश्मन बनी है तन्हाई,
पर ये उलझन कोई दीवार नहीं ।

---हर्ष महाजन 'हर्ष'
2122 1212 22(112)
यूँ ही तुम मुझसे बात करती हो ।

2 comments:

  1. मेरा कोई भी वस्ल-ए-यार नहीं,
    तुम भी कहते हो ऐतबार नहीं ।

    देखी दिलकश अदा जो आखों में,
    कैसे कह दूँ कि तुझको प्यार नहीं ..
    वाह!लाजवाब सृजन आदरणीय

    ReplyDelete
  2. बेहद शुक्रिया आपकी आमद और स्नेहिल शब्दों के लिए ।
    आभार ।

    ReplyDelete