Monday, June 15, 2020

उठके मैयत से निकल कह दो मना लें तुमको

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उठके मैयत से निकल कहदो मना लें तुमको,
तू सितारा है ज़मीं पे तो बुला लें तुमको ।

शोहरत ने जो तुम्हें आज चुराया हमसे,
हम भी नग्मों में सनम आज सजा लें तुमको ।

तेरे ग़म में जो कभी शौक़ यहाँ पाले थे,
चल के मैख़ाने में सोचा कि दिखा लें तुमको ।

तेरी हसरत कि निग़ाहों से गिरा दे हमको,
अपनी हसरत कि निगाहों में उठा लें तुमको ।

जिन चराग़ों से मिली रौशनी मंज़िल के लिए,
आओ किस्मत के अँधेरों से बचा लें तुमको ।

हमने सोचा था कि इक शाम तेरे नाम करें,
दिल ने फिर चाहा उसी शाम मना लें तुमको ।

अपने तुम प्यार को सब नाज़ से रखना लेकिन,
सोचा खोया है सनम अपना बता लें तुमको ।

दिल मुहब्बत के अगर लम्हों को जीना चाहे,
मेरी मैयत में मिलेंगे वो सँभाले तुमको ।

--हर्ष महाजन 'हर्ष'
2122 1122 1122 22(112)
दिल की आवाज भी सुन दिल के फ़साने पे न जा

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