Wednesday, June 16, 2021

आपसी रिश्तों में इतना जाने क्यूँ अब ज़ह्र है

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आपसी रिश्तों में इतना जाने क्यूँ अब ज़ह्र है,

कुछ हुए क़ातिल ज़ुबाँ से कुछ में  थोड़ी खैर है ।


हमने डरते डरते कह दी इक ग़ज़ल अपनों में फिर,

देखते ही देखते हर शख़्स लगता  ग़ैर है ।


बड़ रही हर क़ौम में अब दुश्मनों की हलचलें,

कोई टूटे या न टूटे, टूटता ये शह्र है ।


कहता हूँ ग़ज़लों में अपनी रिश्तों की तासीर भी,

बोल जितने हैं ज़रूरी उतनी इसकी बह्र है ।


बिक़ता है इंसाफ अब तो हर जगह मक्कारी है,

अब सियासत भी फ़लक पे हर ज़ुबाँ पे ज़ह्र है ।


बे-वजह कुछ अपने छूटे मज़हबी इस दाव में,

ये हक़ीक़त जानकर भी ये सियासी बैर है ।


राज़-ए-उल्फ़त को बताना ये भी मेरा फ़र्ज़ था,

अपना तो अपना रहेगा ग़ैर फिर भी ग़ैर है ।


----हर्ष महाजन 'हर्ष'

2122 2122 2122 212

"दिल लगाकर हम ये समझे ज़िन्दगी क्या चीज़ है"

12 comments:

  1. हर शेर लाजवाब,बहुत कुछ कह गई आपकी ये उम्दा गजल ।

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    1. जिज्ञासा जी,
      ज़र्रानवाज़ी का तहे दिल से शुक्रिया ।

      सादर

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  2. आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" गुरुवार 17 जून 2021 को साझा की गयी है.............. पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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    1. दिग्विजय जी आपका धन्यवाद आपने मेरी इस गज़ल को पांच लिंको का आनंद पर स्थान दिया ।

      सादर

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  3. "देखते ही देखते हर शख़्स लगता ग़ैर है ।" - दुनिया-समाज की कटु सच्चाई ..
    ( बाक़ी "बह्र" वग़ैरह के मामले में तो हम अज्ञानी ही हैं ):)

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    1. सुबोध सिन्हा जी आपकी आमद और पसंदगी के लिए आपका बहुत बहुत शुक्रिया ।
      ऐसे ही आते रहेंगे तो बह्र का भी ज्ञान हो ही जायेगा ।
      चर्चा से सब संभव है ।

      सादर
      सादर

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  4. बहुत ही उत्कृष्ट ।

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  5. Zarranawazi ka bahut bahut shukriya

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    1. बहुत बहुत शुक्रिया संदीप कुमार शर्मा जी ।

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  7. अपनो से ले कर सियासत तक की बात वाह क्या बात है ।

    बड़ रही हर क़ौम में अब दुश्मनों की हलचलें,

    कोई टूटे या न टूटे, टूटता ये शह्र है ।



    कहता हूँ ग़ज़लों में अपनी रिश्तों की तासीर भी,

    बोल जितने हैं ज़रूरी उतनी इसकी बह्र है ।

    दोनो शेर गज़ब ।

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    1. संगीता स्वरूप जी आपकी पारखी नज़र ने अशआर की गहराई को पकड़ उसके सैट को बयां कर ही दिया । दाद के लिए बेहद शुक्रिया । यूँ आते रहिये बलाग की रौनक को बरकरार रखियेगा ।

      सादर

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