Friday, October 8, 2021

मुझको वो मेरे गुनाहों की सज़ा देते हैं

 

मुझको वो मेरे गुनाहों की सज़ा देते हैं, 
ज़ह्र देते है वो फिर खुद ही दवा देते है ।

खौफ़ दुनिया का है जो इश्क खता कहते हैं, 
करके शोला ये बदन फिर क्यूँ हवा देते हैं |

इश्क भी करते हैं वो ज़ह्र असर होने तक, 
ज़ख़्म भी देते हैं वो फिर क्यूँ दुआ देते हैं |

बे-वफ़ा है वो मगर दिल है कि मानेगा नहीं,
दर्द शेरों से मेरे दिल के हरा देते हैं |

'हर्ष" जब कहता है खुद को ही बगावत कर ले,
खुद यूँ हाथों की लकीरों को मिटा देते है ।

___हर्ष महाजन 'हर्ष'©
9 अक्टूबर 2012
2122 1122 1122 22

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