Sunday, August 29, 2021

अगर दिल पर मेरे उसका कभी इख्तियार हो जाता

 अगर दिल पर मेरे उसका कभी इख्तियार हो जाता,
ये हस्ती तक बिखर जाती मुझे इंतज़ार हो जाता |

मैं खुद अपनी निगाहों से गिरा और ये भी मुमकिन था,
कभी मैं खोल देता दिल, वो फिर राजदार हो जाता |

ये तो अच्छा हुआ वो रूठ कर यूँ ही चल दिए मुझसे,
अगर तीरे नज़र चलता तो दिल आर-पार हो जाता |

अमानत थी किसी की फिर भी इस दिल को रखना काबू में,
कशिश इतनी थी आँखों में ये दिल तार-तार हो जाता |

बिछुड़ के रो चुका हूँ बे-वजह वो तो दिल था बेगाना,
न पगलाता ये दिल मेरा तो मैं होशियार हो जाता |

_____हर्ष महाजन 'हर्ष'
09 मार्च 2016

Non standard Behr.
1222 1222 1221 2122 2

9 comments:

  1. वाह!बहुत सुंदर।
    सादर

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    1. बहुत बहुत शुक्रिया, आपको ये पेशकश पसंद आई । सच कहूं तो ये आपकी दरियादिली औऱ ऊपर वाले का कर्म है आदरनीय ।💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐

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  2. वाह!!!!
    लाजवाब गजल।

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    1. बहुत बहुत शुक्रिया, आपको ये पेशकश पसंद आई । सच कहूं तो ये आपकी दरियादिली औऱ ऊपर वाले का कर्म है आदरनीय ।💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐

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  3. बहुत खूब ..
    लाजवाब शेर हैं इस गज़ल के ... जिंदाबाद ... जिंदाबाद ...

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    1. बहुत बहुत शुक्रिया, आपको ये पेशकश पसंद आई । सच कहूं तो ये आपकी दरियादिली औऱ ऊपर वाले का कर्म है आदरनीय ।💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐

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  4. लाजवाब पंक्तियाँ

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  5. मेरी रचना शमीक करने के लिए शुक्रिया आदरनीय यशोदा जी

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  6. बहुत बहुत शुक्रिया, आपको ये पेशकश पसंद आई । सच कहूं तो ये आपकी दरियादिली औऱ ऊपर वाले का कर्म है आदरनीय ।💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐

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