ये हस्ती तक बिखर जाती मुझे इंतज़ार हो जाता |
मैं खुद अपनी निगाहों से गिरा और ये भी मुमकिन था,
कभी मैं खोल देता दिल, वो फिर राजदार हो जाता |
ये तो अच्छा हुआ वो रूठ कर यूँ ही चल दिए मुझसे,
अगर तीरे नज़र चलता तो दिल आर-पार हो जाता |
अमानत थी किसी की फिर भी इस दिल को रखना काबू में,
कशिश इतनी थी आँखों में ये दिल तार-तार हो जाता |
बिछुड़ के रो चुका हूँ बे-वजह वो तो दिल था बेगाना,
न पगलाता ये दिल मेरा तो मैं होशियार हो जाता |
_____हर्ष महाजन 'हर्ष'
09 मार्च 2016
Non standard Behr.
1222 1222 1221 2122 2
वाह!बहुत सुंदर।
ReplyDeleteसादर
बहुत बहुत शुक्रिया, आपको ये पेशकश पसंद आई । सच कहूं तो ये आपकी दरियादिली औऱ ऊपर वाले का कर्म है आदरनीय ।💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐
Deleteवाह!!!!
ReplyDeleteलाजवाब गजल।
बहुत बहुत शुक्रिया, आपको ये पेशकश पसंद आई । सच कहूं तो ये आपकी दरियादिली औऱ ऊपर वाले का कर्म है आदरनीय ।💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐
Deleteबहुत खूब ..
ReplyDeleteलाजवाब शेर हैं इस गज़ल के ... जिंदाबाद ... जिंदाबाद ...
बहुत बहुत शुक्रिया, आपको ये पेशकश पसंद आई । सच कहूं तो ये आपकी दरियादिली औऱ ऊपर वाले का कर्म है आदरनीय ।💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐
Deleteलाजवाब पंक्तियाँ
ReplyDeleteमेरी रचना शमीक करने के लिए शुक्रिया आदरनीय यशोदा जी
ReplyDeleteबहुत बहुत शुक्रिया, आपको ये पेशकश पसंद आई । सच कहूं तो ये आपकी दरियादिली औऱ ऊपर वाले का कर्म है आदरनीय ।💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐
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