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हुआ था खुश्क कभी दर्द-ए-ज़ख्म आज भी है,
दीदा-ए-तर है मगर दिल तो नर्म आज भी है |
दीदा-ए-तर है मगर दिल तो नर्म आज भी है |
हुआ जो फुर्कत में साज़-ए-दिल शराब बनी,
नशा था तुझसे हुआ मुझमें मर्ज़ आज भी है |
नशा था तुझसे हुआ मुझमें मर्ज़ आज भी है |
लिखूंगा तुझपे ग़ज़ल अब तलक है याद मुझे,
बिखर गया दो-जहाँ तेरा क़र्ज़ आज भी है |
बिखर गया दो-जहाँ तेरा क़र्ज़ आज भी है |
तलाशता हूँ अमल, कागजों पे हर्फ़ करूँ ,
किया जो मैंने कभी उसकी शर्म आज भी है |
किया जो मैंने कभी उसकी शर्म आज भी है |
जलूँगा तुझपे अलख बन दिया मज़ार पे अब,
कि तुझको याद रहे मुझको गर्ज़ आज भी है |
कि तुझको याद रहे मुझको गर्ज़ आज भी है |
__________हर्ष महाजन
बहरे मुजतस मुसमन मखबून महजूफ
1212 1122 1212 112
दीदा-ए-तर = भीगी आँख
फुर्कत = अलगाव separation
1212 1122 1212 112
दीदा-ए-तर = भीगी आँख
फुर्कत = अलगाव separation
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