🐝🐝🐝🐝🐝🐝🐝🐝🐝🐝🐝
इन हवाओं से कभी तेरा पता पूछूँगा,
किस तरह छूटे मुझे तेरा नशा पूछूँगा ।
जाने क्यूँ ली थी कसम तू ने जुदा होने की,
तेरी धड़कन की सदाओं से सज़ा पूछूँगा ।
मुंतज़िर हूँ कि सितारो से फलक हो रौशन,
यूँ अंधेरों में बता किस से पता पूछूँगा ।
सैंकडों ख्वाब तेरे, नींद, चश्म से ओझल,
अश्क़ आँखों में मगर रस्में क़ज़ा पूछूँगा ।
ज़िन्दगी ख़ाक हूई आस सिफर होने तक,
अब सजेगी तेरी मजलिस तो ख़ता पूछूँगा ।
-------------------हर्ष महाजन
🐝🐝🐝🐝🐝🐝🐝🐝🐝🐝🐝
2122-1122-1122-22
No comments:
Post a Comment