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मुझे दिल में अपने सजा कर तो देखो
फकत हूँ तेरा दिल लगा कर तो देखो ।
ये चाहत मेरी तुम मिलो तो समझना,
ये रिश्ता कभी तुम निभाकर तो देखो ।
ये दूनियाँ है मुर्दा-परस्तों की बस्ती,
किसी शख्स को आजमाकर तो देखो ।
कहीं लुटती अस्मत कहीं अगजनी है,
ये आँखों से पर्दा हटाकर तो देखो ।
बहुत चर्चे करता....जहाँ खुदकशी पर,
कभी बोझ उस सा बना कर तो देखो ।
सियासत को भी बिकते देखा है हमने,
ये अखबार कोई उठाकर तो देखो ।
---------------हर्ष महाजन
बहरे मुतकारिब मुसम्मन सालिम
122-122-122-122
मुझे दिल में अपने सजा कर तो देखो
फकत हूँ तेरा दिल लगा कर तो देखो ।
ये चाहत मेरी तुम मिलो तो समझना,
ये रिश्ता कभी तुम निभाकर तो देखो ।
ये दूनियाँ है मुर्दा-परस्तों की बस्ती,
किसी शख्स को आजमाकर तो देखो ।
कहीं लुटती अस्मत कहीं अगजनी है,
ये आँखों से पर्दा हटाकर तो देखो ।
बहुत चर्चे करता....जहाँ खुदकशी पर,
कभी बोझ उस सा बना कर तो देखो ।
सियासत को भी बिकते देखा है हमने,
ये अखबार कोई उठाकर तो देखो ।
---------------हर्ष महाजन
बहरे मुतकारिब मुसम्मन सालिम
122-122-122-122
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