Monday, April 11, 2016

मुझसे रुठोगे अगर तुम तो किधर जाऊंगा




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मुझसे रुठोगे अगर तुम तो किधर जाऊंगा,
मैं हूँ आईना तेरा टूटा तो बिखर जाऊँगा |

कुछ तो होती है खलिश चेहरा बदलने वाले,
दिल में चाहत तो रहेगी मैं जिधर जाऊँगा |

लोग कहते हैं नशा गम को भुला देता है,
अब जो मैखाना मिलेगा मैं उधर जाऊँगा |

रौशनी दे के शमा खुद को जला देती है,
यूँ मिटाओगे अगर खुद को किधर जाऊँगा |

मैंने किस्मत में गिरफ्तार-ए-वफ़ा चाहा था,
तुम जो गैरों से निभाओगी सिहर जाऊँगा |

हर्ष महाजन

बहर :- रमल मुसम्मन मखबून मह्जुफ़ मकतू
2122-1122-1122-22

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