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मुझसे रुठोगे अगर तुम तो किधर जाऊंगा,
मैं हूँ आईना तेरा टूटा तो बिखर जाऊँगा |
मैं हूँ आईना तेरा टूटा तो बिखर जाऊँगा |
कुछ तो होती है खलिश चेहरा बदलने वाले,
दिल में चाहत तो रहेगी मैं जिधर जाऊँगा |
दिल में चाहत तो रहेगी मैं जिधर जाऊँगा |
लोग कहते हैं नशा गम को भुला देता है,
अब जो मैखाना मिलेगा मैं उधर जाऊँगा |
रौशनी दे के शमा खुद को जला देती है,
यूँ मिटाओगे अगर खुद को किधर जाऊँगा |
यूँ मिटाओगे अगर खुद को किधर जाऊँगा |
मैंने किस्मत में गिरफ्तार-ए-वफ़ा चाहा था,
तुम जो गैरों से निभाओगी सिहर जाऊँगा |
तुम जो गैरों से निभाओगी सिहर जाऊँगा |
हर्ष महाजन
बहर :- रमल मुसम्मन मखबून मह्जुफ़ मकतू
2122-1122-1122-22
2122-1122-1122-22
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