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किसी नापाक ने भारत के दिल को टो के देखा है,
नया आतंक घाटी में……..सरासर बो के देखा है ।
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नया आतंक घाटी में……..सरासर बो के देखा है ।
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गए वो शख्स जिनकी रूह संग ख़ौला किये था खूं,
फलक पे रोते वो, खुद को, जिन्होंने खो के देखा है ।
कहीं सूरज, कहीं बादल, कहीं खुशियाँ कहीं गम यूँ,
शहादत दे मुकम्मल देश को…….संजो के देखा है |
कहीं पे है सियासत ऒ…….कहीं पे हो रहा मातम,
शहीदों ने भी कब्रों में, ये सब……..रो-रो के देखा है ।
शहादत दे, मुहब्बत देश से…...कम तर नहीं होती,
यहाँ पग-पग पे माँओं के...दिलों को टो के देखा है |
जो है जागीर भारत की…..जुदा दुश्मन हो जाने दो,
मिटा नामों निशाँ इसका, बहुत अब ढो के देखा है |
हर्ष महाजन
बहरे हज़ज मुसम्मन सालिम
1222-1222-1222-1222
फलक पे रोते वो, खुद को, जिन्होंने खो के देखा है ।
कहीं सूरज, कहीं बादल, कहीं खुशियाँ कहीं गम यूँ,
शहादत दे मुकम्मल देश को…….संजो के देखा है |
कहीं पे है सियासत ऒ…….कहीं पे हो रहा मातम,
शहीदों ने भी कब्रों में, ये सब……..रो-रो के देखा है ।
शहादत दे, मुहब्बत देश से…...कम तर नहीं होती,
यहाँ पग-पग पे माँओं के...दिलों को टो के देखा है |
जो है जागीर भारत की…..जुदा दुश्मन हो जाने दो,
मिटा नामों निशाँ इसका, बहुत अब ढो के देखा है |
हर्ष महाजन
बहरे हज़ज मुसम्मन सालिम
1222-1222-1222-1222
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