ये हस्ती तक बिखर जाती मुझे इंतज़ार हो जाता |
मैं खुद अपनी निगाहों से गिरा और ये भी मुमकिन था,
कभी मैं खोल देता दिल, वो फिर राजदार हो जाता |
ये तो अच्छा हुआ वो रूठ कर यूँ ही चल दिए मुझसे,
अगर तीरे नज़र चलता तो दिल आर-पार हो जाता |
अमानत थी किसी की फिर भी इस दिल को रखना काबू में,
कशिश इतनी थी आँखों में ये दिल तार-तार हो जाता |
बिछुड़ के रो चुका हूँ बे-वजह वो तो दिल था बेगाना,
न पगलाता ये दिल मेरा तो मैं होशियार हो जाता |
_____हर्ष महाजन 'हर्ष'
09 मार्च 2016
Non standard Behr.
1222 1222 1221 2122 2