कारगिल युद्ध, जिसे ऑपरेशन विजय के नाम से भी जाना जाता है, भारत और पाकिस्तान के बीच मई और जुलाई 1999 के बीच कश्मीर के करगिल जिले में हुए सशस्त्र संघर्ष का नाम है।

आबरू वतन की आज यूँ बची कि क्या कहें,
फौज़ अपनी कारगिल में यूँ लड़ी कि क्या कहें ।
दुश्मनों के काफिले जो हिन्द की ज़मीं पे थे,
फौज़ ए हिन्द बन के शोला यूँ लड़ी के क्या कहें ।
दहले थे वो लाडलों की माँओ के तो दिल ही थे,
देख कर तिरंगे में वो यूँ खड़ी कि क्या कहें ।
एक तरफ जंग कारगिल की दूजी थी सियासती,
जंग ये सियासतों ने यूँ लड़ी कि क्या कहें ।
दुश्मनों के संग दोस्ती निभा रहा था हिन्द,
दोस्ती ये छल के महँगी यूँ पड़ी कि क्या कहें ।
हर्ष महाजन 'हर्ष'
212 1212 1212 1212
"मेरा दिल मचल गया तो मेरा क्या कसूर है"
जी नमस्ते ,
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगवार(१७-०८-२०२१) को
'मेरी भावनायें...'( चर्चा अंक -४१५९ ) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है।
सादर
चर्चा में शामिल करने के लिये बहुत बहुत धनयवाद ।
Deleteसदर
जय हिंद।
ReplyDeleteदुश्मनों की दुश्मनी ही सही, दोस्ती कभी नहीं।
आपकी आमद औऱ उस पर आपकी होंसला अफ़ज़ाई के लिए तहे दिल से बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय।💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐
Deleteजय हिंद, जय हिंद की सेना
ReplyDeleteजयहिन्द💐💐💐💐💐💐
ReplyDeleteबहुत अच्छी ग़ज़ल, देशभक्ति के भाव भी हैं और दुश्मनों पर भरोसा ना करने की सीख भी....
ReplyDeleteपसंदंगी के लिए बहुत बहुत शुक्रिया आदरनीय मीणा जी ।
Deleteबहुत सुंदर हृदयस्पर्शी सृजन
ReplyDeleteBahut bahut shukriyaa Manoj Kayal ji
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