मेरा दिल मुझसे बदगुमां लेकिन,
ये तो कातिल है रहनुमां लेकिन |
ये तो कातिल है रहनुमां लेकिन |
दिल है रंगीन महफ़िलों पे फ़िदा,
हरसूं ज़ख्मों के हैं निशां लेकिन |
कितने हैं दर्द अश्क कहते हैं ये,
दिल में रोशन है इक समां लेकिन |
मैं भी सदमें में संग रोया बहुत,
मुझपे इतना था मेहरबां लेकिन |
कितने ही दर्द इश्क में था लिए,
बंद है दिल की अब जुबां लेकिन |
आज जाने की बात मत करना,
अश्क रुकते न दर्द भी लेकिन |
_______हर्ष महाजन 'हर्ष'
2122 1212 22(112)
"ज़िक्र होता है जब कयामत का"
वाह ... हर शेर गज़ब का ... रहनुमा कातिल है । होता है .....
ReplyDeleteकितने ही दर्द इश्क में था लिए,
बंद है दिल की अब जुबां लेकिन |
बहुत खूब 👌👌👌
आपकी ज़र्रानावाज़ी का बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय संगीता जी
Deleteसादर