Friday, August 21, 2020

अपने जीते जी ये दवा कर ले

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अपने जीते जी ये दवा कर ले,
मौत से पहले ही दिया कर ले ।

बेवफा और दुनियाँ में कातिल,
कर दे कामिल तु या फनां कर ले ।

हम तो हैं वक़्त के सुनो पाबंद,
मेरे संग मिल के ये दुआ कर ले ।

मैं तो घबरा गया हूँ इस जग में,
या ख़ुदा मुझ्को आशना कर ले ।

दर्दे ग़म अपनों का सहूँ कितना,
आ ख़ुदा दुनियाँ से जुदा कर ले ।

जो तू चाहे दिवानगी से अगर,
प्यार की आ तू इंतिहा कर ले ।

धौंकिनी सी लगी चले दिल पर,
दिल से दिल आ के मुब्तिला कर ले ।

कोई पूछेगा मुझसे क्यूँ आखिर,
आके कोई भी मशविरा कर ले ।

चाँद तो पहले ही ख़फ़ा लेकिन,
कोई तो मुझसे फिर वफ़ा कर ले ।

मेरा मकसूद मेरी मंज़िल पर,
है तुझे ग़म तो आ गिला कर ले ।

है तू अब भी मुहब्बतों में अगर,
लग ज़िगर और हौंसला कर ले ।


-------हर्ष महाजन 'हर्ष'

2122 1212 22(112)
"मेरी किस्मत में तू नहीं शायद"

14 comments:

  1. नमस्ते,
    आपकी इस प्रविष्टि के लिंक की चर्चा सोमवार (24अगस्त 2020) को 'उत्सव हैं उल्लास जगाते' (चर्चा अंक-3803) पर भी होगी।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्त्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाए।
    --
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    --
    -रवीन्द्र सिंह यादव



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    1. मेरी रचना चर्चा मंच पर लगाने के लिए धन्यवाद आदरणीय यादव जी ।

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  2. वाह!लाजवाब सर ।
    सादर

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    1. बेहद शुक्रिया अनीता सैनी जी ।
      सादर ।

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  3. बेहद खूबसूरत ग़ज़ल ।

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    1. शुक्रिया मीना भारद्वाज जी ।
      सादर

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  4. चाँद तो पहले ही ख़फ़ा लेकिन,
    कोई तो मुझसे फिर वफ़ा कर ले ।
    वाह!!!
    लाजवाब गजल।

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    1. बहैत बहुत शुक्रिया सुधा देवरानी जी ।
      सादर

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  5. आ हर्ष जी, नमस्ते! बहुत अच्छी ग़ज़ल!--ब्रजेन्द्रनाथ

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    1. दिली शुक्रिया आदरणीय ब्रजेंद्रनाथ जी ।
      सादर

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  6. बहुत लाजवाब गज़ल ....
    हर शेर कमाल की बात कहता हुआ ...

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    1. आदरणीय दिगम्बर नासवा जी बेहद शुक्रिया आपका ।
      काफी अर्से बाद आपके दर्शन हुए ।
      सादर

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