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अगर दुआएँ मिलीं हार टल तो सकती है ।
ये राजनीति है किस्मत बदल तो सकती है ।
कहीं चलेगी अगर बात अब मुहब्बत की,
दबी जो दिल में है सूरत निकल तो सकती है ।
ज़ुदा हुआ जो मैं तुझसे बिखर ही जाऊँगा,
मगर बिछुड़ के भी तू दिल में पल तो सकती है।
हवा के संग चले जो बशर जमाने की,
"मिले न छाँव मगर धूप ढल तो सकती है ।"
महक रहें हैं जो गुल अपनी रंगों-खुशबू पर,
किसी भी भँवरे की नीयत फिसल तो सकती है|
वतन से होगी अगर रहनुमाओं को उल्फ़त,
ये सच है हालते सरहद सँभल तो सकती है।
न पूछा हाल कभी उसने गैर की ख़ातिर,
वो साथ मेरे ज़नाज़े के चल तो सकती है
समझ के भी न रखी दूरी गर हसीनों से,
दिया जले न जले उँगली जल तो सकती है ।
हर्ष महाजन
1212 1122 1212 22
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