Wednesday, February 2, 2022

हवा आज कुछ ठीक होगी तो जाने

 

               ग़ज़ल

हवा आज कुछ ठीक होगी तो जाने,
बहुत बदले हैं हमने अपने ठिकाने ।

यूँ ख़्वाबों की अपने तो परवाज होगी,
लगे थे जो सदमात उनको भुलाने ।

सदाकत भी भूले रफ़ाक़त भी भूले,
सभी भूलें हैं हम पुराने जमाने ।

कभी हादसों में हुआ इश्क़ लेकिन,
मिलेंगे तड़प कर गले अब लगाने ।

कभी होगी पतझड़ कभी फिर बहारें,
मुहब्बत में रिश्ते सभी हैं निभाने ।

फ़क़त हम अज़ीयत में जीये अभी तक,
चलो अब उजालों अँधेरा छुपाने ।

हुई शादमानी मिला हमसफ़र जो,
मुहब्बत चली अब हमें आजमाने ।

हर्ष महाजन 'हर्ष'
122 122 122 122
★★★
सदमात= गम ही गम
परवाज़=उड़ान
सदाकत=सच्चाई
रफाकत=मेलजोल
अज़ीयत= तकलीफें
शादमानी= खुशी, प्रसन्नता
★★★★★


12 comments:

  1. जी नमस्ते,
    आपकी लिखी रचना शुक्रवार ४ फरवरी २०२२ के लिए साझा की गयी है
    पांच लिंकों का आनंद पर...
    आप भी सादर आमंत्रित हैं।
    सादर
    धन्यवाद।

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  2. जी नमस्ते ,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शुक्रवार (०४ -०२ -२०२२ ) को
    'कह दो कि इन्द्रियों पर वश नहीं चलता'(चर्चा अंक -४३३१)
    पर भी होगी।
    आप भी सादर आमंत्रित है।
    सादर

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  3. हर शेर उम्दा बहुत सुंदर सराहनीय गजल ।

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    1. सुंदर समीक्षा हेतु बहुत बहुत शुक्रिया ।

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  4. ज़िन्दगी भर ये आज़माइश चलती रहती है । बेहतरीन ग़ज़ल ।👌👌👌👌

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    1. आपकी आमद और समीक्षा
      के लिए धन्यवाद !!

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  5. Replies
    1. ज़र्रानावाज़ी का शुक्रिया

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