Monday, February 7, 2022

रूठी है ज़िन्दगी तो मुक़द्दर बदल गए

 

                    ग़ज़ल

रूठी है ज़िन्दगी तो मुक़द्दर बदल गए ,
दुनियाँ के भी हों जैसे ये तेवर बदल गए ।

दीवार-ओ-दर में खुश था जहाँ तुम थे साथ पर,
कब नींव के न जाने ये पत्थर बदल गए ।

जिनके भी साये में रहे हम उम्र भर जहाँ,
अब क्यूँ सभी शज़र वो वहॉं पर बदल गए ।

रक्खा किये थे जिनको यूँ शानों पे हर जगह,
दिल के करीब शख्स वो अंदर बदल गए ।

रिश्तों में रक्खा बैर सदा उसने इस तरह,
नदियों में बंट के फिर वो समंदर बदल गए ।

हर्ष महाजन 'हर्ष'
221 2121 1221 212


●मिलती है ज़िन्दगी में मुहब्बत कभी कभी
●‎पहले‬ तो अपने दिल की रजा जान जाइए |


20 comments:

  1. आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" बुधवार 9 फरवरी 2022 को लिंक की जाएगी ....

    http://halchalwith5links.blogspot.in
    पर आप भी आइएगा ... धन्यवाद!
    !

    अथ स्वागतम् शुभ स्वागतम्

    ReplyDelete
  2. हर शेर लाजवाब। शानदार गजल ।

    ReplyDelete
    Replies
    1. दिली धन्यवाद आपका । उम्मीद करता हूँ आप आइंदा भी होंसिला अफजाई के लिए आते रहेंगे ।

      Delete
  3. वाह ।।पता नहीं लोग बदलते हैं या खुद का नज़रिया .... पर कुछ तो बदलता है ।
    खूबसूरत ग़ज़ल ।।

    ReplyDelete
    Replies
    1. दिली धन्यवाद आपका । उम्मीद करता हूँ आप आइंदा भी होंसिला अफजाई के लिए आते रहेंगे ।

      Delete
  4. बेहतरीन ग़ज़ल।

    ReplyDelete
  5. रक्खा किये थे जिनको यूँ शानों पे हर जगह,
    दिल के करीब शख्स वो अंदर बदल गए ।
    वाह!!!
    लाजवाब गजल
    एक से बढ़कर एक शेर।

    ReplyDelete
  6. बहुत ही शानदार गजल

    ReplyDelete
    Replies
    1. ज़र्रानावाज़ी का तहे दिल से शुक्रिया आपका । उम्मीद करता हूँ आपकी प्रतिक्रिया मुसलसल मिलती रहेगी ।
      सादर
      🌺🌺🌺🌺

      Delete
  7. जी नमस्ते ,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा आज शुक्रवार (११ -०२ -२०२२ ) को
    'मन है बहुत उदास'(चर्चा अंक-४३३७)
    पर भी होगी।
    आप भी सादर आमंत्रित है।
    सादर

    ReplyDelete
    Replies
    1. ज़र्रानावाज़ी का तहे दिल से शुक्रिया आपका । उम्मीद करता हूँ आपकी प्रतिक्रिया मुसलसल मिलती रहेगी ।
      सादर
      🌺🌺🌺🌺

      Delete
  8. वाह .. बेहतरीन शेरोन का गुलदस्ता ... लाजवाब गज़ल ...

    ReplyDelete
    Replies
    1. ज़र्रानावाज़ी का तहे दिल से शुक्रिया आपका । उम्मीद करता हूँ आपकी प्रतिक्रिया मुसलसल मिलती रहेगी ।
      सादर
      🌺🌺🌺🌺

      Delete
  9. क्या बात है ! नमस्ते.

    ReplyDelete
  10. बेहतरीन शेर
    गज़ब की ग़ज़ल बन पड़ी। वाह

    नई पोस्ट- CYCLAMEN COUM : ख़ूबसूरती की बला

    ReplyDelete
    Replies
    1. ज़र्रानावाज़ी का तहे दिल से शुक्रिया आपका । उम्मीद करता हूँ आपकी प्रतिक्रिया मुसलसल मिलती रहेगी ।
      सादर
      🌺🌺🌺🌺

      Delete
  11. Replies
    1. आपकी पसंदंगी के लिए दिली धन्यवाद आपका । ये आपका नज़रिया है जो मेरे लफ़्ज़ों में उतार आता है आदरनीय । उम्मीद करता हूँ आप आइंदा भी होंसिला अफजाई के लिए आते रहेंगे ।

      Delete
  12. दिली धन्यवाद आपका । उम्मीद करता हूँ आप आइंदा भी होंसिला अफजाई के लिए आते रहेंगे ।

    ReplyDelete